* * * * जीवन पुष्प * * * *
24 October, 2021
मेरे हबीब
16 October, 2021
मेरा इश्क...मेरा गुरुर
क्यों खुली नहीं जुबां अभी तक
होठों को तो खिल जाने दो...!
कुछ दहक रही सीने के अन्दर
उसे आँखों से बह जाने दो ..!!
छुप कर यूँ झांकोगी कब तक
सब ख्वाब बयां यूँ हो जाने दो !
तुम इश्क जब इतना करती हो
तो गुरुर मुझे भी कर जाने दो... !!
28 September, 2021
दरख़्त
17 August, 2021
एक मुहब्बत आहिस्ता...
लब हिलें है बार-बार, आँखे इंतेजार कर चुकी है
किया हूँ
इकरार बहुत, वो इनकार कर चुकी है !
दोष तकदीर का है य़ा तदवीर का सनम
वो
दर्द-ए-खंजर आर-पार कर चुकी है !
ये मेरे दिल की लगी है या है उनकी
दिल्लगी
हर कतरा
ज़िस्मों-जान गुलजार कर चुकी है !
क्यो नहीं कर रही इज़हारे-इश्क वो
अभी तक
जबकी पहले
ही सब हदें वो पार कर चुकी है !
लगाई मलहम भी अहिस्ता कांटों की नोक से
अब हर मर्म का दामन जार-जार कर चुकी
है !
03 December, 2020
दिलजले
न जाने तुम कहाँ थी
और मैं कहाँ था...
थी तुम भी मस्त
अपनों के संग...
ख्वाब पलने के लिए
मेरा भी एक जहाँ था
पर जख्म सिलने के लिए
मलहम कहाँ था ...?
हम मिले भी तो क्या मिले
जख्म सिले भी तो क्या सिले,
शिकायत है ज़िन्दगी से
और है बहुत शिकवे-गिले
कि हम पहले क्यों नहीं मिले ...?
कितने दूर है हम
कितने मजबूर है हम
कभी रूह तड़पती है
कभी आंहें निकलती है...
जब याद बहुत आती है
आँखों में सन्नाटा छाती है
अब तो और ज्यादा
खवाब पलने लगे हैं
शाम-ए-ज़िन्दगी के
थोडा और भी ढलने लगे है !
मुहब्बत की इस राह में,
न जाने हम कहाँ चले है
इश्क की इस आह में
हम दोनों दिलजले है...!