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24 October, 2021

मेरे हबीब

 


ना जाने कितने रिश्ते टूट गए करीब का !
अब जा के हुआ है साथ मेरे हबीब का !!

खा कर ठोकरें गिरा हूँ ज़माने में बहुत 
जायेंगे संभल, ये तो खेल है नसीब का !

पाया हूँ सिद्दत से, कभी नहीं खोऊंगा तुम्हे
रखुं कांधे पे सर, सहलाना इस रकीब का   !

वादा करो निभायेंगे हम, साथ कयामत तक
मेरी नाजनी, है ये दुनिया बहुत अजीब का  !

बन जाऊँगा कभी मुकद्दर का सिकन्दर मैं 
बस दिलाते रहना यकीं, तुम इस गरीब का !


********************
हबीब = दोस्त  
रकीब = गरीब 
नाजनी = दोस्त (स्त्री)
मुकद्दर = किस्मत 
सिकंदर = सम्राट 


16 October, 2021

मेरा इश्क...मेरा गुरुर

 


क्यों खुली नहीं जुबां अभी तक

होठों को तो खिल जाने दो...!

कुछ दहक रही सीने के अन्दर

उसे आँखों से बह जाने दो ..!!

 

छुप कर यूँ झांकोगी कब तक

सब ख्वाब बयां यूँ हो जाने दो !

तुम इश्क जब इतना करती हो 

तो गुरुर मुझे भी कर जाने दो... !!


28 September, 2021

दरख़्त


मैं वो दरख़्त हूँ जो बुत्त बनकर अभी भी खड़ा हूँ...
अब देखना हैं ज़मीर उस ओस के बुन्द की...
कि वो मेरे आगोश में गिर कर समाते  है...!
या ज़मीं पर लूढ़क कर मिट्टी की प्यास बुझाते है ...!!

17 August, 2021

एक मुहब्बत आहिस्ता...

लब हिलें है बार-बार, आँखे इंतेजार कर चुकी है
किया हूँ इकरार बहुत, वो इनकार कर चुकी है !

दोष तकदीर का है य़ा तदवीर का सनम 
वो दर्द-ए-खंजर आर-पार कर चुकी है !

ये मेरे दिल की लगी है या है उनकी दिल्लगी
हर कतरा ज़िस्मों-जान गुलजार कर चुकी है !

क्यो नहीं कर रही इज़हारे-इश्क वो अभी तक
जबकी पहले ही सब हदें वो पार कर चुकी है !

लगाई मलहम भी अहिस्ता कांटों की नोक से
अब हर मर्म का दामन जार-जार कर चुकी है !


                            

03 December, 2020

दिलजले








न जाने तुम कहाँ थी

और मैं कहाँ था...

थी तुम भी मस्त

अपनों के संग...


ख्वाब पलने के लिए

मेरा भी एक जहाँ था

पर जख्म सिलने के लिए

मलहम कहाँ था ...?


हम मिले भी तो क्या मिले

जख्म सिले भी तो क्या सिले,

शिकायत है ज़िन्दगी से

और है बहुत शिकवे-गिले

कि हम पहले क्यों नहीं मिले ...?


कितने दूर है हम

कितने मजबूर है हम

कभी रूह तड़पती है

कभी आंहें निकलती है...

जब याद बहुत आती है

आँखों में सन्नाटा छाती है


अब तो और ज्यादा

खवाब पलने लगे हैं

शाम-ए-ज़िन्दगी के 

थोडा और भी ढलने लगे है !


मुहब्बत की इस राह में,

न जाने हम कहाँ चले है 

इश्क की इस आह में

हम दोनों दिलजले है...!

लिखिए अपनी भाषा में...

जीवन पुष्प

हमारे नये अतिथि !

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