मैं तन्हा कितना मजबूर हो गया
क्यों हमसे इतना वो दूर हो गया।
क्यों हमसे इतना वो दूर हो गया।
तसब्बूर में जिसको खुदा हमने माना
रौंद कर गुलशन वो काफूर हो गया।
रौंद कर गुलशन वो काफूर हो गया।
तकदीर के दर्पण में तस्वीर बसाया था
आज मेरा वो आईना चूर-चूर हो गया।
आज मेरा वो आईना चूर-चूर हो गया।
कभी मुफलिसी पे फिक्र किये ही नही
उसे क्यों दौलत पे गूरुर हो गया।
उसे क्यों दौलत पे गूरुर हो गया।
मुश्किल से होता है मुकम्मल कोई रिश्ता
क्यों रिश्ता तोड़ने का उसे सरुर हो गया।
क्यों रिश्ता तोड़ने का उसे सरुर हो गया।
कल तलक जिंदा था जज्बा-ए-मुहब्बत
आज करके उसका कत्ल वो क्रुर हो गया।
आज करके उसका कत्ल वो क्रुर हो गया।
बिखड़ गया वजूद तडपते रिश्तों का
कीया रब से दुआ सब नामंजूर हो गया।
कीया रब से दुआ सब नामंजूर हो गया।
उजाला था कितना रुहानी रिश्तों का
आज क्यों ये रिश्ता बेनूर हो गया।
आज क्यों ये रिश्ता बेनूर हो गया।
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