अमावस की काली रात में
घनघोर घटा बरसात में,
रह-रह के मोरा जी घबराये
कैसे कटेगी भय की रतिया
कैसे करुंगी प्यार की बतिया,
तपन विरह की, तन को जलाये
देर हुई मोरे पिया ना आये।
सर-सर, सर- सर, पछुआ डोले
सर-सर, सर- सर, पछुआ डोले
सन-सन तन करे हौले हौले,
व्याकुल मन में हूक उठाये
देर हुई मोरे पिया ना आये।
दादुर ताल-तलैया बोले
हृदय में एक गरल सा घोले,
काले भुजंग है फण फैलाये
देर हुई मोरे पिया ना आये।
घर पानी आंगन में पानी
मेरे दोनो नैन में पानी,
ये पानी दामन को भिंगाये
देर हुई, क्यों पिया ना आये...?
( शब्दार्थः गरल - जहर, दादुर - मेढक, भुजंग - सांप )
( शब्दार्थः गरल - जहर, दादुर - मेढक, भुजंग - सांप )
34 comments:
शब्दों के साथ मन के डर की खूबसूरत अभिव्यक्ति
सादगी से भरी यह कविता , अच्छी लगी ........
यह सारा जीवन ही अमावस की काली रात है और वह परमात्मा ही पिया है जिसकी हर जीव को प्रतीक्षा है...परम प्रेम ही जीवन का ध्येय हो जाये तो एक दिन पूर्णिमा का चाँद भी भीतर नजर आता है...
खूबसूरत अभिव्यक्ति ||
दादुर ताल-तलैया बोले
हृदय में एक गरल सा घोले,
काली भुजंग है फण फैलाये
देर हुई मोरे पिया ना आये।
bahut sundar
दादुर ताल-तलैया बोले
हृदय में एक गरल सा घोले,
काली भुजंग है फण फैलाये
देर हुई मोरे पिया ना आये।
-piya se door virahani ki manodasha ka sundar chitran..
सर-सर, सर- सर, पछुआ डोले
सन-सन तन करे हौले हौले,
व्याकुल मन में हूक उठाये
देर हुई मोरे पिया ना आये।
क्या बात है ....
मीठा मीठा रस घुला है ....
बहुत सुन्दर विरह गीत ..
कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
very nice .
jal ka ko prayog aapne kiya hai vo bahut sunder hai.
badhai
rachana
बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
घर पानी आंगन में पानी
मेरे दोनो नैन में पानी,
ये पानी दामन को भिंगाये
देर हुई, क्यों पिया ना आये...?
behad achhi rachna
नमस्कार,
आप के लिए "दिवाली मुबारक" का एक सन्देश अलग तरीके से "टिप्स हिंदी में" ब्लॉग पर तिथि 26 अक्टूबर 2011 को सुबह के ठीक 8.00 बजे प्रकट होगा | इस पेज का टाइटल "आप सब को "टिप्स हिंदी में ब्लॉग की तरफ दीवाली के पावन अवसर पर शुभकामनाएं" होगा पर अपना सन्देश पाने के लिए आप के लिए एक बटन दिखाई देगा | आप उस बटन पर कलिक करेंगे तो आपके लिए सन्देश उभरेगा | आपसे गुजारिश है कि आप इस बधाई सन्देश को प्राप्त करने के लिए मेरे ब्लॉग पर जरूर दर्शन दें |
धन्यवाद |
विनीत नागपाल
आप सभी को टिपण्णी देने के लिए धन्यवाद !
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 27-10 - 2011 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज ...
manmohak andaz......
बहुत ही अच्छा लिखा है सर!
सादर
बहुत सुंदर --
खूबसूरत अभिव्यक्ति
shandar.......isey Bhi Dekhey
www.hindi4tech.blogspot.com
मनीष जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" में शामिल कर लिया गया है |
कृपया माडरेशन का विकल्प हटा दें |
मधुर गीत!
bahut achhi rachna...badhai!
kal chhath vrat ki post dekhiega.
blog pr aane ke liye aabhar.
विरह की वेदना को प्रस्तुत करती बहुत खूबसूरत कविता!
आपका ब्लॉग भी सुंदर है और कविता भी ....मेरे ब्लॉग को ज्वाइन किया उसके लिए आभार !
भावपूर्ण रचना|बधाई
आशा
खूबसूरत भाव....
just excellent....!!
***punam***
bas yun...hi..
tumhare liye...
जीवन की रीत तो ये अँधेरी दुनिया ही है ... मन में प्रेम रुपी पिया को जगाना पढता है ... सुन्दर पंक्तियाँ हैं ...
सुन्दर भावनाओं की सुन्दर प्रस्तुति...ऐसा ही लिखते रहिए...बधाई...।
बहुत खूबसूरत गीत मनीष जी....
वाह! सादर बधाई....
बहुत अच्छा लिखते है आप ..लय,शब्द और भाव हर लिहाज से
काली भुजंग की जगह काले भुजंग होना चाहिए शायद एक बार फिर से देख लीजिये ..शुभकामनायें
aap ki rachna bahut hi saral bhasha me hai lekin bahut hi manmohak hai....bdhaai ....
bahut hi accha likha hai.
beautiful
Post a Comment