खामोश बैठी वो हसीन लग रही थी
खुदा की कसम, बहुत कमसीन लग रही थी।
पलकें हया से उठा कर देखती रही
सहला के जुल्फों को नजर फेरती रही।
मेरे दिल मे भी एक ख्वाब पलने लगा
धड़कन बढ़ गई और मन मचलने लगा।
बार बार चेहरे पे जुल्फों का गिरना
कानों में उसकी बालीयों का हिलना,
गजब ढा रहा था अधरों की मुस्कान
धीरे-धीरे प्यार की शुरुआत होने लगी।
जाते - जाते हाथों से ईशारा कर गई
मैं उसपे मर गया, वो हम पे मर गई।
सिलसिला मुलाकातों का और ही बढ़ते गया
मुहब्बत की सीढ़ी, मैं यूं ही चढ़ते गया...।
7 comments:
waha prem ras mei bhigi ye rachna
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है ....!
neelu ji ise anjam tak pahuchaiye abhi climex baki hai
very true...........
bhut achcha.
vah kya anubhuti ? jeete rho nirala ji .
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