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18 November, 2011

बेबसी की आँधी

बेख़ौफ़ होकर
आँधियां आयेगी
रौंद कर ख्वाबों को
सोते में जगायेगी !



कैसे संभालूँगा 
मैं अपने घरौंदे को ?
तड़पते हुये लहू-लुहान   
अरमां के परिंदे  को...?

कैसे रोक पाऊंगा
वो कहर-जलजला ?
बिखेर देगी तिनकों में
जो प्यारा घोसला 
कुचल देगी पंजों से 
हिम्मत और हौसला
हो जाओगी तू भी दूर
रह जायेगा फासला...!

बेफिक्र आशियां में 
जो प्रेम पल रहे हैं 
सदियों से उम्मीद में
जो चराग जल रहे हैं 
वो अब बुझ जायेगा 
और बुझ कर वहीँ  पर  
स्याह बन जायेंगा !

उस स्याह को लिये मैं
यादों के दर्पण में 
जब भी झाँकूंगा 
अपनी ही नजरों में 
बेदम गिर जाऊंगा ...!

सब बेखबर होंगे 
अपनी  दुनिया में 
और तू भी होगी 
एकदम, बेबस मौन...
फिर हमारे इस- 
टूटे हुये सपनों को
संभालेगा कौन...?

कौन होगा तुम्हारे बाद
जो भरेगा ये घाव ?
कौन समझेगा
मेरे आँसूओं का भाव...?
कहाँ होगा मेरे
जीवन का पड़ाव ?
या फिर यूँ ही खेलेगी
तकदीर हमसे दाव...?

जब-जब नजर पड़ेगी
तेरी तस्वीर पर
कई सवाल उभरेगा
अतीत के पटल पर
मैं बुत बन कर
सिसक पड़ूंगा
फिर अपने आप
चुप हो लूँगा...!
पलकों के पोर पे
जब आंसू सूख जायेगा
तब दिले-नादां को 
ये समझाऊंगा
कि
आँधियां आनी थी आयेगी
आशियाना छोड़ना नहीं
 वो जब तक गैर न हो जाये 
ये रिश्ता तोड़ना  नहीं...! "

45 comments:

रविकर said...

बहुत सुन्दर ||
दो सप्ताह के प्रवास के बाद
संयत हो पाया हूँ ||
बधाई ||

Rajesh Kumari said...

bahut achche jajbaat yaadon ko koi toofan mita nahi sakta.pahli baar padh rahi hoon aapko.bahut achcha laga.

अनुपमा पाठक said...

आंधियां आती हैं तो आयें पर आशियाना अडिग खड़ा रहे!

सदा said...

वाह ...बहुत ही बढि़या ।

रश्मि प्रभा... said...

kisi bhi haal mein hausla mat ganwana ... bahut hi achhi rachna

नीरज गोस्वामी said...

इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें

नीरज

Anita said...

सुंदर ब्लॉग और भावपूर्ण रचना!

संजय भास्‍कर said...

बहुत उम्दा रचना

Pallavi saxena said...

वो जब तक ग़ैर न हो जाये रिश्ता तोड़ना न नहीं ...वाह बहुत खूब लिखा है आपने बधाई समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत भावपूर्ण रचना ... आंधियां गुज़र ही जाती हैं ..

Nitesh Kumar said...

kya baat hai sir jee... keep it up

मेरा मन पंछी सा said...

वाह...
बहुत ही सुन्दर रचना है....
प्रत्येक कड़ी लाजवाब है....

दर्शन कौर धनोय said...

बहुत खुबसुरत लगे आपके अंजुमन में फैले गुलाब !और वैसे ही मन को मोहित आपकी कविता !
http://armaanokidoli.blogspot.com/
कभी यहाँ भी तशरीफ लाए .,.धन्यवाद !

दिगम्बर नासवा said...

सच है रिश्तों की डोर बंधी रहनी चाहिए ... आंधियाँ तो आती जाती हैं .... उम्दा लिखा है ...

Sadhana Vaid said...

बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति ! बहुत ही सुन्दर !

Sunil Kumar said...

बहुत खुबसूरत, बहुत संवेदनशील रचना ......

Asha Lata Saxena said...

बहुत भावपूर्ण रचना |'आंधियां आनी थी --------ये रिश्ते तोडना नहीं ,बहुत खूब |बधाई |
आशा

ana said...

बहुत सुन्दर लिखा है अपने ...बधाई

pradeep tiwari said...

bahut hi sundar jeevan ka varnan kiya hai bahut hi umda........lakha lkha badhi ap ko

Anju (Anu) Chaudhary said...

bhavpurn abhivyakti....

avanti singh said...

बेबसी की आंधी ...... बहुत ही उम्दा रचना है ,मन के भाव को प्रकट करने को बहुत ही सही शब्दों का चुनाव .....बधाई मनीष जी

रजनीश तिवारी said...

भावपूर्ण रचना , बधाई

Urmi said...

गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com

ऋता शेखर 'मधु' said...

आँधियाँ आनी हैं आएँगी...बहुत सुन्दर रचना...बधाई

Dr. SHASHI.... ( Ek Kasak ) said...

आंधियां आनी थीं आएँगी , आशियाना छोड़ना नहीं....
यही तो जिंदादिली है....
बहुत ही खुबसूरत अभिव्यक्ति ....बधाई.

Amrita Tanmay said...

बहुत ही उम्दा लिखा है. बेहद खुबसूरत..

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

bhavpoorn prastuti.

Jyoti Mishra said...

Thanks 4 stooping by !!
Lovely writing n awesome expressions :)

Udan Tashtari said...

मन को छूती!! बधाई!!!

Anupama Tripathi said...

कल 26/11/2011को आपकी किसी पोस्टकी हलचल नयी पुरानी हलचल पर हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

कौन होगा तुम्हारे बाद जो भरेगा ये घाव ....बहुत सुन्दर ...कोमल प्यार से सजी रचना
बधाई हो ...
भ्रमर ५

Dr.NISHA MAHARANA said...

bahut hi marmik n bhavpoorn abhivaykti.

केवल राम said...

कौन होगा तुम्हारे बाद
जो भरेगा ये घाव ?
कौन समझेगा
मेरे आँसूओं का भाव...?
कहाँ होगा मेरे
जीवन का पड़ाव ?
या फिर यूँ ही खेलेगी
तकदीर हमसे दाव..?

बहुत सुन्दरता से अपने अपने भावों को हम सब के साथ सांझा किया है .......मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन कर टिप्पणी के लिए आपका धन्यवाद ....!

केवल राम said...

मेरे ब्लॉग का अनुसरण कर उत्साह बढाने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया .....आशा है आपका यह प्रेम निरंतर बना रहेगा ......!

जयकृष्ण राय तुषार said...

भाई मनीष जी आपकी कविता बहुत अच्छी है यहाँ आना सुखद रहा |

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

आंधियां आनी थी आयेंगी...
सार्थक रचना मनीष भाई जी...
सादर बधाई स्वीकारें...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बेहद खूबसूरत पोस्ट ,..मेरा आना सार्थक रहा..
मेरे नए पोस्ट 'प्रतिस्पर्धा'में आपका इंतजार है ...

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

भावपूर्ण मार्मिक प्रेम रचना.

हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग said...

Behtarin rachna.

प्रेम सरोवर said...

सार्थक प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । आभार.।
मनीष सिंह जी,
मेरे निदेशक साहब श्री मनोज कुमार जी भी आपके जिले के रहने वाले हैं । उनका ब्लॉग है मनोज एवं राजभाषा । इस पोस्ट पर जाते रहिएगा । धन्यवाद ।

कविता रावत said...

बहुत गहन भाव उकेर है आपने रचना में.. बहुत बढ़िया रचना ..

प्रेम सरोवर said...

मनीष सिंह जी ,मनोज कुमार जी का लिंक है- www.manojiofs.blogspot.com

Suman said...

बहुत अच्छी लगी रचना पढ़कर !
मेरे ब्लॉग पर आने का आभार !

Mamta Bajpai said...

आंधियां मन को और मजबूत बना देती है ....सुन्दर रचना के लिए आभार

mamta(सांझ) said...

bohot hi achchi rachna hai...

लिखिए अपनी भाषा में...

जीवन पुष्प

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