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03 March, 2013

अश्रु और आँचल

पुष्पित थी अभिलाषा मेरी
पर, हिस्से में तो काँटे थे
 भेद गये वो तन–मन को
जिसे हम प्रेम से बाँटे थे 
बुत बने यूँ खड़े रहे हम
वर्षों से बिन प्रतिफल के

प्रतीक्षा है उस आँचल का  
जिसे क़द्र हो अश्रुजल के |


ह्रदय धक् से धड़क रहे थे
हम जीवन में सरक रहे थे
खुलती और बंद होती पलकें
जब गिरे तो थी मुट्ठी में रेत
रह गई वो भी वहीँ फिसल के

प्रतीक्षा है उस आँचल का  
जिसे क़द्र हो अश्रुजल के |

दन्त कृदंत आह उठी थी  
तन में लगी थी एक ठिठुरन
  गम लहराया हिम् सा छाया  
पर, अस्थि बच गई गल के

प्रतीक्षा है उस आँचल का 
जिसे क़द्र हो अश्रुजल के |

सन्नाटा था घना घना सा
भयभीत नैन, चौकस कर्ण
फैली थी बस तम की चादर
नभ धरा सब एक ही वर्ण
कहीं नहीं था जन की रौनक
आहट न कोई हलचल के

प्रतीक्षा है उस आँचल का 
जिसे क़द्र हो अश्रुजल के |

एक सुनहला पुनर्जागरण
खिली तिमिर में नई किरण
अपना स्वप्न प्राणों से सिंचित
सुन्दर हो गया पुलकित मन
  जगमग-जगमग दीप जले है  
मेरे नवजीवन राजमहल के

प्रतीक्षा है उस आँचल का  
जिसे क़द्र हो अश्रुजल के |

14 comments:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

वाह!
आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-03-2013 को सोमवारीय चर्चा : चर्चामंच-1173 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

रविकर said...

बहुत बढ़िया है आदरणीय-
शुभकामनायें-

कविता रावत said...

एक सुनहला पुनर्जागरण
खिली तिमिर में नई किरण
अपना स्वप्न प्राणों से सिंचित
सुन्दर हो गया पुलकित मन
जगमग-जगमग दीप जले है
मेरे नवजीवन राजमहल के
प्रतीक्षा है उस आँचल का
जिसे क़द्र हो अश्रुजल के |

....................
आस का दीया हर हाल एमिन मन में जगमगाता रहे तो कभी न कभी उसका कद्रदान मिल ही जाता है ,,
बहुत बढ़िया गीत

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत ही उम्दा अभिव्यक्ति,,,,,बधाई,,

Recent post: रंग,

दिगम्बर नासवा said...

सन्नाटा था घना घना सा
भयभीत नैन, चौकस कर्ण
फैली थी बस तम की चादर
नभ धरा सब एक ही वर्ण
कहीं नहीं था जन की रौनक
आहट न कोई हलचल के

प्रतीक्षा है उस आँचल का
जिसे क़द्र हो अश्रुजल के ...

मन में आशा हो तो प्रतीक्षा जरूर पूरी होती है ...
प्रवाहमय ... सुन्दर भावनाओं से लिप्त ... अच्छी रचना है मनीष जी ...

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत खूब

neeraj 'neer' said...

bahut khoobsoorat rachna..
neeraj 'neer'

Dinesh pareek said...

बहुत खूब सार्धक लाजबाब अभिव्यक्ति।
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ! सादर
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
कृपया मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे

डॉ. जेन्नी शबनम said...

बहुत खूबसूरत और भावप्रवण, बधाई.

Satish Saxena said...

अच्छा लगा आपको पढ़कर !!
मंगलकामनाएं !

अभिव्यंजना said...

बहुत सुंदर रचना ! होली की हार्दिक शुभकामनाएँ .......

अभिव्यंजना said...

मनीष जी अपने ब्लॉग पर शामिल करने के लिए आभार .....

Unknown said...

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