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30 January, 2024

बेनूर मोहब्बत


बेनूर  है मोहब्बत, चलो नूर  ढूंढते है

थकी निगाहों में, एक सुरूर ढूंढते  है !

 

छुप गया मोह्ताब, फलक के हिजाब में

जमीं से चल कर वो कोहिनूर ढूंढते है !


गिर रहे है अश्क, होठ शबनमी पे

आज मिलकर मुस्कान भरपूर ढूंढते है !


छूटे ना अपना साथ, हाथो में लिए हाथ

अब बंद आखों से नया दस्तूर ढूंढते है !


 

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जीवन पुष्प

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