बेनूर है मोहब्बत, चलो नूर
ढूंढते है
थकी निगाहों में, एक सुरूर
ढूंढते है !
छुप गया मोह्ताब, फलक के हिजाब में
जमीं से चल कर वो कोहिनूर
ढूंढते है !
गिर रहे है अश्क, होठ शबनमी पे
आज मिलकर मुस्कान भरपूर ढूंढते
है !
छूटे ना अपना साथ, हाथो में लिए हाथ
अब बंद आखों से नया दस्तूर
ढूंढते है !
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