Followers

09 October, 2011

अमन का राग

महफूज रहे मुल्क ऐसा हिजाब बना दो
ढक लूं तसदीह ऐसी नकाब बना दो।


है खुशी के दामन में गर्दिशों का अंधेरा,
हर इसां को दमकता हुआ आफताब बना दो।

झुलस रही है दुनिया दहशत की आग में,
तुम आज इसे शीतल महताब बना दो।

नफरत के मयखानों में बेहोश पड़े हैं लोग,
छाये उलफत की नशा ऐसी शराब बना दो।
 
पढ़ सके हर लोग अमन चैन का किस्सा,
हर मुल्क में एक ऐसी किताब बना दो।


उपज रहे हैं कांटे वतन के गुलिस्तॉं में,
इसे रुहानी ताकत से गुलाब बना दो।  


झूमे मुल्क सारा अमन के राग पे,
तुम ऐसा कोई सरगम लाजबाब बना दो।

No comments:

लिखिए अपनी भाषा में...

जीवन पुष्प

हमारे नये अतिथि !

Angry Birds - Prescision Select