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25 December, 2011

तेरी कशिश...



मैं तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ !
सात सुरों का सरगम सजाना चाहता हूँ !

बनकर बादल तेरे मन की धरती पर,
एक धीमें सावन को बरसाना चाहता हूँ !

उठ रही जो लहर मेरे दिल के दरिया में
तेरी रगों में भी इसे दौडाना चाहता हूँ !

ना मैं कोई सँपेरा, ना ही मैं कोई लुटेरा
मैं तो तेरे हुस्न का खजाना चाहता हूँ !

झुकी है तेरी पलकें काजल के बोझ से क्यों ?
खोल दो आँखों को मैं समाना चाहता हूँ !

मिल जाये निगाहें तो दिल में उतरकर मैं,
संग - संग ताउम्र  बिताना चाहता हूँ !

25 comments:

मेरा मन पंछी सा said...

kashish ko bayan karati sundar bhavo se saji behtarin rachana hai...

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत ख़ूब

प्रेम सरोवर said...

आपने बहुत सुंदर तरीके से अपने भावों को प्रस्फुटित किया है । हमेशा सृजनरत रहें । धन्यवाद । मेरे पोस्ट पर आकर स्पष्ट करें कि दीनबंधु से आपका अभिप्राय सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी से तो नही है ।

रश्मि प्रभा... said...

achhi rachna...

उपेन्द्र नाथ said...

khubsurat tarike se aapne apne bhavon ko awaz di hai... sunder prastuti.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्यारी सी ख्वाहिश ..

संध्या शर्मा said...

बहुत खूबसूरत ख्वाहिशें... शुभकामनायें

ASHOK BIRLA said...

bahut sundar kavita !!

ऋता शेखर 'मधु' said...

बहुत प्यारी सुन्दर ख्वाहिशें...शुभकामनाएँ!!

dinesh aggarwal said...

मनीष जी नमस्कार, आपके और आपकी रचना के सम्मान में
लिखी हैं कुछ पंतियाँ:-
मुझे अपना बनाकर क्या पाओगे,
सरगम बनारकर कैसे बजाओगे,
बादल बनकर मेरे मन की धरती से दूर रहकर,
केवल बरसाकर चले जाओगे,
उठ रही जो तेरी दिल की दरिया में लहर,
जल्दी करो कब दौड़ाओगे,
मैंने कब कहा सपेरा लुटेरा तुमको,
मनीष खजाना लूटने कब आओगे,
तुम्हारे लिये ही काजल से झुकाई हैं पलकें,
पलके खुली हैं कब समाओगे,
तुम्हारे इंतजार में है बेकरार दिल मेरा,
उम्र निकल जायेगी, जिन्दगी साथ कब बिताओगे।

स्वाति said...

prem ki abhilasha bahut hi manmohak....sundar...

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

भई बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब!


सादर

Anonymous said...

very nice....keep it up.

सदा said...

वाह ...बहुत खूब ।

sangita said...

sundar rach

virendra sharma said...

हसरतों की नै परवाज़ लिए है यह रचना .

Asha Lata Saxena said...

बहुत नाजुक ख्याल हैं |बहुत खूब |
बधाई |
आशा

***Punam*** said...

very romantic....
good one...!!

Nidhi said...

खूबसूरत ख्वाहिश....

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

खूबसूरत ख़याल....
सादर बधाई..

कविता रावत said...

bahut khoobsurat kashish bhari rachna...

Jeevan Pushp said...
This comment has been removed by the author.
Dev said...

शब्दों और भावो का अद्दभुत समन्वय, खूबसूरत कामना !

Dr.NISHA MAHARANA said...

bahut khoob.

लिखिए अपनी भाषा में...

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