मैं तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ !
सात सुरों का सरगम सजाना चाहता हूँ !
बनकर बादल तेरे मन की धरती पर,
एक धीमें सावन को बरसाना चाहता हूँ !
उठ रही जो लहर मेरे दिल के दरिया में
तेरी रगों में भी इसे दौडाना चाहता हूँ !
ना मैं कोई सँपेरा, ना ही मैं कोई लुटेरा
मैं तो तेरे हुस्न का खजाना चाहता हूँ !
झुकी है तेरी पलकें काजल के बोझ से क्यों ?
खोल दो आँखों को मैं समाना चाहता हूँ !
मिल जाये निगाहें तो दिल में उतरकर मैं,
संग - संग ताउम्र बिताना चाहता हूँ !
25 comments:
kashish ko bayan karati sundar bhavo se saji behtarin rachana hai...
बहुत ख़ूब
आपने बहुत सुंदर तरीके से अपने भावों को प्रस्फुटित किया है । हमेशा सृजनरत रहें । धन्यवाद । मेरे पोस्ट पर आकर स्पष्ट करें कि दीनबंधु से आपका अभिप्राय सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी से तो नही है ।
achhi rachna...
khubsurat tarike se aapne apne bhavon ko awaz di hai... sunder prastuti.
प्यारी सी ख्वाहिश ..
बहुत खूबसूरत ख्वाहिशें... शुभकामनायें
bahut sundar kavita !!
बहुत प्यारी सुन्दर ख्वाहिशें...शुभकामनाएँ!!
मनीष जी नमस्कार, आपके और आपकी रचना के सम्मान में
लिखी हैं कुछ पंतियाँ:-
मुझे अपना बनाकर क्या पाओगे,
सरगम बनारकर कैसे बजाओगे,
बादल बनकर मेरे मन की धरती से दूर रहकर,
केवल बरसाकर चले जाओगे,
उठ रही जो तेरी दिल की दरिया में लहर,
जल्दी करो कब दौड़ाओगे,
मैंने कब कहा सपेरा लुटेरा तुमको,
मनीष खजाना लूटने कब आओगे,
तुम्हारे लिये ही काजल से झुकाई हैं पलकें,
पलके खुली हैं कब समाओगे,
तुम्हारे इंतजार में है बेकरार दिल मेरा,
उम्र निकल जायेगी, जिन्दगी साथ कब बिताओगे।
prem ki abhilasha bahut hi manmohak....sundar...
भई बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
बहुत खूब!
सादर
very nice....keep it up.
वाह ...बहुत खूब ।
sundar rach
हसरतों की नै परवाज़ लिए है यह रचना .
बहुत नाजुक ख्याल हैं |बहुत खूब |
बधाई |
आशा
very romantic....
good one...!!
खूबसूरत ख्वाहिश....
खूबसूरत ख़याल....
सादर बधाई..
bahut khoobsurat kashish bhari rachna...
शब्दों और भावो का अद्दभुत समन्वय, खूबसूरत कामना !
bahut khoob.
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