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02 January, 2012

तपिश

 मन में तपिश है इतनी 
कि समंदर सूख न जाये
चल रही साँसें इतनी तेज
 कि हवा भी रूठ न जाये !


अगर, समंदर ना रहा तो
नदी को पनाह कौन देगा ?
और, हवा भी रूठ गई तो 
जीवन को राह कौन देगा...?

बच सकता है समंदर 
यूँ ही सूखने से
रुक सकती है हवा भी 
यूँ ही रूठने से...

अगर, जाकर कोई 
 कह दे उसे
एक झलक अपनी वो 
दिखा दे मुझे
ताकि, शीतल हो जाये
 मेरा तन-मन 
वरना, ख़ाक हो जायेगा
ये सारा जीवन !

24 comments:

vandana gupta said...

वाह वाह वाह …………कितनी सुन्दर भाव भंगिमा है…………बेहतरीन

रश्मि प्रभा... said...

tapish ko manzil se jod do... bahut kuch aasaan ho jayega

संध्या शर्मा said...

अगर समंदर न रहा तो नदी को पनाह कौन देगा...
उसका रहना जरुरी है... सुन्दर रचना

Rajesh Kumari said...

sab barbaad ho jaayega agar uska deedar na hua vaah dil ki gahraai se nikle shabd umda rachna.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत एहसास ... नव वर्ष की शुभकामनायें

कविता रावत said...

bahut badiya chitrit rachna...
nav varsh kee haardik shubhkamnayen!

Mamta Bajpai said...

बहुत सुन्दर ... नव वर्ष की शुभ कामनाएं

पूनम श्रीवास्तव said...

nav-varshh ki hardik shubh kamnayen ------
poonam

कुमार संतोष said...

सुंदर रचना !

आभार !
नए साल की हार्दिक बधाई आपको !

sangita said...

भावभीनी रचना है | अच्छा लिखते हैं |

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर वाह!

Anju (Anu) Chaudhary said...

प्यार के अहसास में रची बसी रचना ..बहुत खूब

नववर्ष मंगलमय हो

सदा said...

वाह ...बहुत खूब ।

vidya said...

वाह ...बहुत सुन्दर

प्रेम सरोवर said...

प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
बहुत ख़ूबसूरत रचना !

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... सच कहा है अगर समुन्दर न हो तो नदी को पनाह कौन देगा ... गज़ब के भाव अहिं रचना में ...
नया साल मुबारक हो ...

नीरज गोस्वामी said...

मनीष जी
अच्छे शब्द, गहरे भाव ...सार्थक रचना...बधाई

नीरज

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

मनीष जी,...रचनाओं में आपकी तपिश बढती जा रही है बहुत सुंदर
प्रस्तुति,...बधाई..

WELCOME to new post--जिन्दगीं--

dinesh aggarwal said...

अगर समुन्दर न रहा तो नदी को पनाह कौन देगा।
और,हवा भी रूठ गई तो जीवन को राह कौन देगा।।
सुन्दर,सुन्दर,अति सुन्दर।
भावों का गहरा सामुन्दर।।
अधिक बधाई देने का।
इक विचार मेरे अन्दर।।

dinesh aggarwal said...

सुन्दर अभिव्यक्ति।

dinesh aggarwal said...

सुन्दर अभिव्यक्ति।

ऋता शेखर 'मधु' said...

बहुत अच्छी रचना है...

Dr. SHASHI.... ( Ek Kasak ) said...

waao ! very nice ... well happy new year to all of u.

लिखिए अपनी भाषा में...

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