मन में तपिश है इतनी
कि समंदर सूख न जाये
चल रही साँसें इतनी तेज
कि हवा भी रूठ न जाये !
कि हवा भी रूठ न जाये !
अगर, समंदर ना रहा तो
नदी को पनाह कौन देगा ?
और, हवा भी रूठ गई तो
जीवन को राह कौन देगा...?
बच सकता है समंदर
यूँ ही सूखने से
रुक सकती है हवा भी
यूँ ही रूठने से...
अगर, जाकर कोई
कह दे उसे
कह दे उसे
एक झलक अपनी वो
दिखा दे मुझे
दिखा दे मुझे
ताकि, शीतल हो जाये
मेरा तन-मन
मेरा तन-मन
वरना, ख़ाक हो जायेगा
ये सारा जीवन !
24 comments:
वाह वाह वाह …………कितनी सुन्दर भाव भंगिमा है…………बेहतरीन
tapish ko manzil se jod do... bahut kuch aasaan ho jayega
अगर समंदर न रहा तो नदी को पनाह कौन देगा...
उसका रहना जरुरी है... सुन्दर रचना
sab barbaad ho jaayega agar uska deedar na hua vaah dil ki gahraai se nikle shabd umda rachna.
खूबसूरत एहसास ... नव वर्ष की शुभकामनायें
bahut badiya chitrit rachna...
nav varsh kee haardik shubhkamnayen!
बहुत सुन्दर ... नव वर्ष की शुभ कामनाएं
nav-varshh ki hardik shubh kamnayen ------
poonam
सुंदर रचना !
आभार !
नए साल की हार्दिक बधाई आपको !
भावभीनी रचना है | अच्छा लिखते हैं |
बहुत सुन्दर वाह!
प्यार के अहसास में रची बसी रचना ..बहुत खूब
नववर्ष मंगलमय हो
वाह ...बहुत खूब ।
वाह ...बहुत सुन्दर
प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " जाके परदेशवा में भुलाई गईल राजा जी" पर आके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । नव-वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ ।
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
बहुत ख़ूबसूरत रचना !
बहुत खूब ... सच कहा है अगर समुन्दर न हो तो नदी को पनाह कौन देगा ... गज़ब के भाव अहिं रचना में ...
नया साल मुबारक हो ...
मनीष जी
अच्छे शब्द, गहरे भाव ...सार्थक रचना...बधाई
नीरज
मनीष जी,...रचनाओं में आपकी तपिश बढती जा रही है बहुत सुंदर
प्रस्तुति,...बधाई..
WELCOME to new post--जिन्दगीं--
अगर समुन्दर न रहा तो नदी को पनाह कौन देगा।
और,हवा भी रूठ गई तो जीवन को राह कौन देगा।।
सुन्दर,सुन्दर,अति सुन्दर।
भावों का गहरा सामुन्दर।।
अधिक बधाई देने का।
इक विचार मेरे अन्दर।।
सुन्दर अभिव्यक्ति।
सुन्दर अभिव्यक्ति।
बहुत अच्छी रचना है...
waao ! very nice ... well happy new year to all of u.
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