तुम्हारे जाने के कुछ निशान
रेत पर, और मेरे मन पर
एक साथ उभर गये !
इसे मिटाने की कोशिश में
ना जाने कितने मोती आँसू के
इस समंदर में बिखर गये !
आज आने की आहट पर
इन हवाओं की छूअन से
तन-मन मेरे सिहर गये !
जो पार गये थे सात समंदर
आ गये सब लौटकर लेकिन
ना जाने तुम किधर गये...?
एक साथ उभर गये !
इसे मिटाने की कोशिश में
ना जाने कितने मोती आँसू के
इस समंदर में बिखर गये !
आज आने की आहट पर
इन हवाओं की छूअन से
तन-मन मेरे सिहर गये !
जो पार गये थे सात समंदर
आ गये सब लौटकर लेकिन
ना जाने तुम किधर गये...?
32 comments:
रेत पर निशान कभी नहीं मिलते ...और जाने वाले ..कभी वापिस नहीं आते ....
बेहद खूबसूरत पेशकश
बहुत खुबसूरत है अहसास.....जाने वाले कभी लौट के नहीं आते|
बहुत खूब।
सादर
behtareen bhaw
मनोभावों की वेदना को शब्द दे दिये………उफ़
मन में एक नई उम्मीद जगाती संवेदनशील पोस्ट
बहुत सुन्दर प्रेरण देती रचना के लिये बधाई।
विरह का सजीव चित्रण है ...बढ़िया है
भावपूर्ण रचना. बधाई.
आह!
'ना जाने तुम किधर गए'
वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति,मनीष जी.
प्रस्तुति के लिए आभार जी.
कोमल से भाव लिए सुन्दर रचना
इसे मटाने की कोशिश में,
बही अश्क की अविरल धारा।।
क्या मनीष जी इसी वजह से,
सागर का है पानी खारा।।
दिल की गहराईयों तक उतर जाने वाली रचना।
सुन्दर प्रस्तुति ||
ना जाने तुम किधर गए,मन में उम्मीद जगाती
बहुत सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन संवेदन शील रचना,बहुत अच्छी लगी,
समर्थक बन रहा हूँ आप भी बने तो मुझे हार्दिक खुशी होगी,..
welcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--
जाने वाले तो नहीं आते पर उनके निशान आस बंधाए रखते हैं ...
रेत पर बने निशान हवा और पानी मिल कर मिटा देते हैं...लेकिन दिल पर बने निशान......
और बस केवल एकाकीपन......
हृदय से निकली सुकोमल रचना.
bahut sundar bhavmayi rachana.
सुन्दर एहसास की सुन्दर रचना एक खाब सी लिखती हुई एक इबारत हवाओं के नाम .कब आओगे प्रियतम .
bahut hi marmik abhivyakti.
भावपूर्ण अभिव्यक्ति, सुन्दर रचना, शुभकामनाएं.
सटीक और सार्थक प्रस्तुति!
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
दिल को छु गए ये भाव
पधारें
kalamdaan.blogspot.com
बहुत ही बढिया भाव संयोजन ...आभार ।
बहुत भावपूर्ण रचना...
बहुत अच्छी भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति बढ़िया शब्द संयोजन,....
नई रचना-काव्यान्जलि--हमदर्द-
एहसास सजीव हो उठे हैं!
विरह कि वेदना को बहूत अच्छी तरह से शब्दो में तराशा है
बेहतरीन भावाभिव्यक्ती
कल 14/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
टीस....वेदना ...बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना ...
न जाने तुम किधर गए?...
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति
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