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10 January, 2012

प्रतीक्षा


तुम्हारे जाने के कुछ निशान
रेत पर, और मेरे मन पर
एक साथ उभर गये !

इसे मिटाने की कोशिश में

ना जाने कितने मोती आँसू के
इस समंदर में बिखर गये !

आज  आने की आहट पर 
इन हवाओं की छूअन से
तन-मन मेरे सिहर गये !

जो पार गये थे सात समंदर
आ गये सब लौटकर लेकिन
ना जाने तुम किधर गये...?

32 comments:

Anju (Anu) Chaudhary said...

रेत पर निशान कभी नहीं मिलते ...और जाने वाले ..कभी वापिस नहीं आते ....

बेहद खूबसूरत पेशकश

Anonymous said...

बहुत खुबसूरत है अहसास.....जाने वाले कभी लौट के नहीं आते|

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब।


सादर

रश्मि प्रभा... said...

behtareen bhaw

vandana gupta said...

मनोभावों की वेदना को शब्द दे दिये………उफ़

संजय भास्‍कर said...

मन में एक नई उम्मीद जगाती संवेदनशील पोस्ट

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुन्दर प्रेरण देती रचना के लिये बधाई।

Mamta Bajpai said...

विरह का सजीव चित्रण है ...बढ़िया है

अभिषेक मिश्र said...

भावपूर्ण रचना. बधाई.

Rakesh Kumar said...

आह!
'ना जाने तुम किधर गए'

वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति,मनीष जी.

प्रस्तुति के लिए आभार जी.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कोमल से भाव लिए सुन्दर रचना

dinesh aggarwal said...

इसे मटाने की कोशिश में,
बही अश्क की अविरल धारा।।
क्या मनीष जी इसी वजह से,
सागर का है पानी खारा।।
दिल की गहराईयों तक उतर जाने वाली रचना।

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति ||

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

ना जाने तुम किधर गए,मन में उम्मीद जगाती
बहुत सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन संवेदन शील रचना,बहुत अच्छी लगी,
समर्थक बन रहा हूँ आप भी बने तो मुझे हार्दिक खुशी होगी,..
welcome to new post --काव्यान्जलि--यह कदंम का पेड़--

दिगम्बर नासवा said...

जाने वाले तो नहीं आते पर उनके निशान आस बंधाए रखते हैं ...

***Punam*** said...

रेत पर बने निशान हवा और पानी मिल कर मिटा देते हैं...लेकिन दिल पर बने निशान......
और बस केवल एकाकीपन......

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

हृदय से निकली सुकोमल रचना.

मो. कमरूद्दीन शेख ( QAMAR JAUNPURI ) said...

bahut sundar bhavmayi rachana.

virendra sharma said...

सुन्दर एहसास की सुन्दर रचना एक खाब सी लिखती हुई एक इबारत हवाओं के नाम .कब आओगे प्रियतम .

Dr.NISHA MAHARANA said...

bahut hi marmik abhivyakti.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

भावपूर्ण अभिव्यक्ति, सुन्दर रचना, शुभकामनाएं.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सटीक और सार्थक प्रस्तुति!

Sanju said...

बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

RITU BANSAL said...

दिल को छु गए ये भाव
पधारें
kalamdaan.blogspot.com

सदा said...

बहुत ही बढिया भाव संयोजन ...आभार ।

ऋता शेखर 'मधु' said...

बहुत भावपूर्ण रचना...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत अच्छी भावपूर्ण सुंदर प्रस्तुति बढ़िया शब्द संयोजन,....
नई रचना-काव्यान्जलि--हमदर्द-

अनुपमा पाठक said...

एहसास सजीव हो उठे हैं!

मेरा मन पंछी सा said...

विरह कि वेदना को बहूत अच्छी तरह से शब्दो में तराशा है
बेहतरीन भावाभिव्यक्ती

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 14/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Anupama Tripathi said...

टीस....वेदना ...बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना ...

Madhuresh said...

न जाने तुम किधर गए?...
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति

लिखिए अपनी भाषा में...

जीवन पुष्प

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