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14 January, 2012

पाँव के फफोले


जीवन के अंगारों पे चलकर 
उग आये फफोले पाँव में 
फिर भी कहीं मैं रुका नहीं
किसी पेड़ों की छाँव में 

 करते क्या गैरों से शिकायत  
घर की आँखों ने की परिहास 
सच कहता हूँ उसी समय से
होने लगा दर्द का एहसास 

पथरीले पथ से टकराकर 
पाँव के फफोले फूटने लगे
मन मेरे विचलित हो-होकर 
उलझी साँसों में घुटने लगे 

सबकी आँखें ये कहने लगी 
 देखो देखो तेरे पाँव रो रहे हैं 
आँखें आँसूओं से धोती रही चेहरे को  
आज फूटकर फफोले तेरे पाँव धो रहे है...!

39 comments:

अनुपमा पाठक said...

हम सबका पथरीले पथ का सफ़र हौसले के साथ तय हो!

***Punam*** said...

fir bhi jeevan chalne ka naam.....
aur yahi fafole kabhi hmaari rahon se kaanton ko dho denge....aur fir us jeevan ke liye jimmedaar hum honge..sirf hum...aur koi nahin..
hausla rakhen..

रश्मि प्रभा... said...

ये फफोले ही मंजिल पाते हैं ...

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी

RITU BANSAL said...

निःसंदेह जीवन में कडवे अनुभव ,फफोलों की तरह होते हैं..
सुन्दर ,पर ह्रदय की वेदनाओं से परिपूर्ण कविता..
कभी आइये मेरे ब्लॉग पर
kalamdaan.blogspot.com

कुमार संतोष said...

मनीष जी कमाल का लिखा है बहुत ही सुंदर रचना !

shikha varshney said...

मार्मिक होते हुए कविता में एक सन्देश भी है.प्रभावशाली अभिव्यक्ति.

नीरज गोस्वामी said...

वाह...बहुत सुन्दर रचना...बधाई स्वीकारें
नीरज

sangita said...

sandesh vahak post hae .

मेरा मन पंछी सा said...

बेहतरीन रचना..

Pallavi saxena said...

सारगर्भित अभिव्यक्ति ....समय मिले आपको तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://aapki-pasand.blogspot.com/
http://mhare-anubhav.blogspot.com/

Nityanand Gayen said...

Bahut sunder rachna badhai sweekarein

Sunil Kumar said...

बहुत संवेदनशील रचना है दिल के अन्दर तक उतर गयी , बधाई

संध्या शर्मा said...

पाँव के फफोले ये बताते हैं कि हम जीवन में कितने प्रयत्नशील हैं...
कौन कहता है कि आसमां में सुराख़ नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों.
मकर संक्रातिं की हार्दिक शुभकामनाएं...

S.N SHUKLA said...

बहुत खूब , शुभकामनाएं.

कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें

virendra sharma said...

जीवन पथ पर गहन एहसासों से जुडी भावाभिव्यक्ति .

Amit Chandra said...

भावपूर्ण एवं सुंदर रचना.

आभार.

Kewal Joshi said...

जीवन की सच्चाई - ये आंसू और फफोले ही मिलाते हैं मंजिलों से.
भाव पूर्ण अभिव्यक्ति.

Naveen Mani Tripathi said...

GAJAB KE BHAVON KA SANYOJAN BADHAI NIRALA JI.

Dr. SHASHI.... ( Ek Kasak ) said...

Nirala ji aap ki lekhni me to jadu hai , aap ka har ek shabd bhavon se bhara hua hota hai.badhai

महेन्‍द्र वर्मा said...

पांव रो रहे हैं !
बहुत खूब, बहुत बढि़या !
नए बिम्बों के प्रयोग से कविता के भाव गहन हो गए हैं।

Anonymous said...

सुन्दर और मार्मिक पोस्ट|

कविता रावत said...

सच अपनों का दर्द कुछ ज्यादा ही सालता है...
सुन्दर प्रस्तुति..

Rohitas Ghorela said...

आँखें आंसुओं से, धोती रही चहरे को
आज फुटकर फफोले,तेरे पांव धो रहे हैं.

वाह बहुत खूब.. उम्दा बधाई स्वीकार करें
मैं आपको मेरे ब्लॉग पर सादर आमन्त्रित करता हूँ.....

virendra sharma said...

बिना एहसास के जी रहा हूँ ,ज़िंदा हूँ ,ताकी जब कभी एहसास लौटें खैरमकदम कर सकूं .
द्रुत टिपण्णी के लिए आपका शुक्रिया भाई जान .

ऋता शेखर 'मधु' said...

पाँव का रोना...बहुत सुंदर प्रस्तुति|
गहरी अर्थपूर्ण कविता!

Jeevan Pushp said...

हमें उत्साहित करने के लिये
आप सभी को दिल से
शुक्रिया !

S.N SHUKLA said...

ब्लॉग पर आगमन और समर्थन प्रदान करने के लिए बहुत- बहुत आभार, यह स्नेह सम्बन्ध अनवरत रहेगा,यही अपेक्षा है.

amrendra "amar" said...

बहुत सुन्दर भाव से लिखी है रचना !

दिगम्बर नासवा said...

जीवन फिर भी चलते रहना चाहिए ...
सुन्दर भाव संजोय हैं ...

सदा said...

मार्मिकता के साथ ..सार्थक संदेश भी दे रही है अभिव्‍यक्ति ..बहुत ही बढि़या।

प्रेम सरोवर said...

कविता दिल को छू गई । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।

Urmi said...

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!

Dimple Maheshwari said...

आप बहुत अच्छा likhte हैं...किन्तु skaratmkta laayiye... तो आपको ज्यादा अच्छा लगेगा...

Jeevan Pushp said...

डिम्पल जी !
बहुमूल्य सुझाव देने के लिये बहुत बहुत धन्यबाद !
आगे मै कोशिश करूँगा !
आभार !

Naveen Mani Tripathi said...

BEHATAREEN PRASTUTI .....BADHAI NIRALA JI.

Monika Jain said...

marmik avam prabhavi rachna

vidya said...

बेहतरीन..
सारगर्भित रचना.

दिगम्बर नासवा said...

पाँव के फफोलों से दर काहे का ... ये तो कठिन सफर के दस्तावेज़ हैं ...

लिखिए अपनी भाषा में...

जीवन पुष्प

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