समाँ बँधा है ताली से
पत्ता-पत्ता टूट रहा है
मेरे जीवन की डाली से !
मासूमियत उजड़ रही है
सूरत भोली-भाली से
चमक सब खो गई है
मेरे होठों की लाली से !
हमें बेचकर बचपन में सब
मालामाल हुए दलाली से
मैं भी किसी की बेटी थी
आज ज़िन्दगी भरी है गाली से !
धन-वर्षा होती रही पर
गुजरी हूँ तंगहाली से
ऐसी क्यों मेरी किस्मत है
कभी पूछो किस्मतवाली से...!
58 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति|
achhi rachna
बहुत सुंदर रचना ,अच्छी प्रस्तुति,......
welcome to new post...वाह रे मंहगाई
sundar............mere blog par apka swagat hai...
behad marmik sochne ko majboor karti rachna.
hridaya dravit karti rachna .....!!
वाह क्या बात हाइ कडवे सच को दर्शाती बहुत ही मार्मिक,लेकिन सशक्त एवं प्रभावशाली रचना समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
बहुत सुन्दर..भावपूर्ण ..
kalamdaan.blogspot.com
naee tarh ke vichaar se saji kavita.....bhdaai...
सुन्दर सृजन , सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
क्या पता किस्मतवाली की वजह से हो तंगहाली ... हा हा ...
अच्छी रचना है ...
आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "धर्मवीर भारती" पर आपका सादर आमंत्रण है । धन्यवाद ।
कुछ सोचने के लिए बाध्य करती अच्छी कविता।
BHAI NIRALA JI AK TAWAYAF KE DARD KO BILKUL NIRALE ANDAJ ME BAYAN KR DIYA HAI APNE ....KAS AISI RACHANAYEN KUCHH AUR BHI LIKHATE TO SHAYAD SAMAJ KUCHH AUR JAGATA ....FILHAL KOTI KOTI BADHAI...BEHAD MAMSPARSHI RACHANA.
बहुत बढ़िया ..
bahut sunder abhivyakti .shdon ka achchha upyog kiya hai aapne .
rachana
bahut khoob, badhai.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
सुंदर अभिव्यक्ति अच्छी रचना,..
NEW POST --26 जनवरी आया है....
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बहुत सुन्दर रचना!
बहुत सुंदर प्रस्तुति अच्छी लगी.,
welcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
samaj ki vidrupta ka dansh ye jhelti hain, apmaanit hoti hain, samaj mein inke liye koi sathaan nahin fir bhi har samaj inhe jabran banata bhi hai aur apmaanit bhi karta hai. inki vivashta ka bahut achchha chitran.
बहुत बेहतरीन सृजन है .
ghunghruon ke dard ko bahut prabhavi shabdon me vyakt kiya aapne..
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" पर पधार कर मेरे प्रयास को भी अपने स्नेह से अभिसिंचित करें, आभारी होऊंगा.
bahut sundar trike se dard ko ubhara hai.
Nice Blog , Plz Visit Me:- http://hindi4tech.blogspot.com ??? Follow If U Lke My BLog????
सोचने को मजबूर करती रचना..
सार्थक लेखन..
प्रस्तुति अच्छी लगी । इस लिए अनुरोध है कि एक बार समय निकाल कर मेरे भी पोस्ट पर आने का कष्ट करें । धन्यवाद ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। धन्यवाद।
मैं भी किसी की बेटी थी
आज ज़िन्दगी भरी है गाली से .....
आज बेशक तू
समझ पराई मुझे
अंत समय में
बस मेरा ही होगा
सहारा तुझे ....
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
दर्दनाक!
बेबस - भावपूर्ण व्यथा.
bahot achchi.
बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
behtareen rachana ke liye badhai .....kya ap vapas aa chuke hain....mere do rachanayen apki prateeksha kr rahi hain.
bahut pasand ayee.....
बेहतर अभिव्यक्ति .....!
सच जिसपर गुजरती है वही जानता है
..सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना...
sunder bhav manoram rachna
rachana
दर्द भरी कहानी है इस घूँघरू की ,रचना गहरी छाप छोडती है और कोई न गुजरे ऐसे हालात से दुआ करती हूँ .
बहुत दर्द भरा है इस रचना में उन का जिन बेचारों को किस्मत ने बेच डाला... भगवान सभी को बचाए ऐसी स्तिथि से और उनको पुनः सुखी जीवन में स्थापित करे..
आपका ब्लॉग आज फोलो किया है... सुन्दर रचनाओ के लिए आभार
aaj apke blog par aana sarthak huaa sda ki tarah .aabhar.
आपके उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।
सुन्दर दर्द !
बहुत ही मनभावन प्रस्तुति । आपने तो दिल ही जीत लिया । मेरे पोस्ट पर आकर मेरा भी मनोबल बढ़ाएं। धन्यवाद ।
वाह!!!!!भावपूर्ण बहुत अच्छी प्रस्तुति सुंदर रचना
MY NEW POST ...सम्बोधन...
ॐ नमः शिवाय !! महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.
पांव के धुंधरू किसी जंजीर से कम नहीं हैं।
अच्छी कविता।
marm ko sparsh karti prastuti------
poonam
बेहतरीन विषय पर उत्त्कृष्ट प्रस्तुति
मारी जीवन का मार्मिक चित्रण ... ये भी एक पहलू है नारी जीवन का ...
संवेदनशील रचना ...
जीवन का एक और दुखद पहलू...मार्मिक अभिव्यक्ति!!!
मनीष जी, मेरे रजिस्टर में आपको "अनुपस्थित" मार्क किया जा रहा है । मेरे पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
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