Followers

28 September, 2021

दरख़्त


मैं वो दरख़्त हूँ जो बुत्त बनकर अभी भी खड़ा हूँ...
अब देखना हैं ज़मीर उस ओस के बुन्द की...
कि वो मेरे आगोश में गिर कर समाते  है...!
या ज़मीं पर लूढ़क कर मिट्टी की प्यास बुझाते है ...!!

No comments:

लिखिए अपनी भाषा में...

जीवन पुष्प

हमारे नये अतिथि !

Angry Birds - Prescision Select