क्यों खुली नहीं जुबां अभी तक
होठों को तो खिल जाने दो...!
कुछ दहक रही सीने के अन्दर
उसे आँखों से बह जाने दो ..!!
छुप कर यूँ झांकोगी कब तक
सब ख्वाब बयां यूँ हो जाने दो !
तुम इश्क जब इतना करती हो
तो गुरुर मुझे भी कर जाने दो... !!
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