नहीं मिलेगा तुम्हे
मेरे जैसा कोहिनूर ...
कीमत तब पता चलेगा
जब हो जाऊंगा तुमसे दूर ...
मुहब्बत दम न तोड़ दे
कही वक़्त के देहलीज़ पे ...
भुला कर सारी रंजिसे
कर लो प्यार भरपूर ....
अब जी लो संग संग
इन लम्हों को समेट लो ...
नहीं पता इन खुवाब का भी
हो ना जाये चकनाचूर .....
विवाद नहीं, विश्वास चाहिए
फिर होता है निभाने का
यक़ीनन रूहानी सुरूर ....
अगर न मिल पाओ उनसे कभी...
फिर भी जिंदा रहती है उम्मीदें....
और मुहब्बत हो अपनी सच्ची...
तो खुद पे ताउम्र होता है गुरूर .....
...भुला कर सारी रंजिसे
कर लो प्यार भरपूर.....
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