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10 December, 2011

उपेक्षित प्रेम

मेरे मन की चौखट पे
वो दस्तक देती रही
मेरी त्रुटियों पे
नतमस्तक होती रही
अविचल बैठी रही
बनकर एक धीर

वो चुपचाप बहाती रही
अपने नेत्रों से नीर !


धैर्य को समेटे
आँखों में अविरत
न कोई विचलन
और न कोई कपट
मन के मंदिर में
उपवास लिये वो
गंगा किनारे
कल्पवास लिये वो
क्षत -विक्षत करती रही
अपनी हिम्मत का जीर

वो चुपचाप बहाती रही
अपने नेत्रों से नीर !

परिशोषण हो चला था
आँखों में अश्रुजल का 
दरारें फट रही थी
कोमल अधर का
वो समझाना चाहती थी
कुछ बताना चाहती थी
कोई अन्दर की पीर

वो चुपचाप  बहाती रही
अपने नेत्रों से नीर !

उसे हमारे दर पर
प्रेम कभी न मिला
वो ध्यान करती रही
उसे ध्यान कभी न मिला
कराहती रही वो
पुकारती रही वो
बेसुध खाती रही
उपेक्षाओं का तीर...

वो चुपचाप  बहाती रही
अपने नेत्रों से नीर !

एक सुषुप्त चेतना को
अथक जगाती रही
तिरस्कार से निरंतर
आजादी माँगती रही
अंततः ईश्वर ने
निष्ठुरता की छाँव में
उसके कोमल पाँव में
डाल दिया बरबस
बेबसी की जंजीर...

वो चुपचाप बहाती रही
अपने नेत्रों से नीर !

क्यों मेरे जीवन में
ये भूल हो गई ?
आज मेरे क़दमों की
वो धूल हो गई...
वो तो आई थी बनने 
मेरे हाथों की लकीर
पर दगा दे गई
उसकी ही तकदीर...

वो चुपचाप बहाती रही
अपने नेत्रों से नीर...!

47 comments:

रश्मि प्रभा... said...

dil ko chhuti rachna

Amrita Tanmay said...

हाथों की लकीर का पैरों का धुल बन जाना .. क्या कहूँ...?

प्रेम सरोवर said...

इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद|

अनुपमा पाठक said...

उसकी आँखों का नीर महसूस हो गया तो भी शायद उसे संतोष जाए...
हाथों की लकीर से धूल बन जाना निश्चित त्रासद रहा होगा!

Sunil Kumar said...

दिल से लिखी गयी और दिल पर असर करने वाली रचना ......

मेरा मन पंछी सा said...

bahut hi sundar, bhavpurn or pyarbhari rachana
hai...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

गहरी संवेदना लिए पंक्तियाँ..... उपेक्षित प्रेम के हिस्से प्रतीक्षा और आंसू ही आते हैं

poonam said...

very touching.....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

गहन संवेदनाओं को लिए सुन्दर प्रस्तुति

vandana gupta said...

इन लफ़्ज़ो मे तारीफ़ करूँ………………स्त्री जीवन , उसकी पीडा , उसके अस्तित्व का कितना शालीनता से चित्रण किया है कि नतमस्तक हूँ…………बेहतरीन शब्द रचना……………सीधा दिल मे उतर गयी……………वाह वाह वाह वाह और सिर्फ़ और सिर्फ़ वाह वाह!!!!!!!!!

स्वाति said...

bahut sundar.....

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 12-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

संध्या शर्मा said...

गहन संवेदना...

ऋता शेखर 'मधु' said...

दिल को छू गई उसके नेत्रों की नीर...नि:शब्द कर देने वाली बेहद खूबसूरत रचना|

Jeevan Pushp said...
This comment has been removed by the author.
सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तु‍ति ।

amrendra "amar" said...

बहुत ही खूबसूरत

***Punam*** said...

अति सुन्दर अभिव्यक्ति....!

Nirantar said...

sundar rachnaa

दिगम्बर नासवा said...

कभी कभी आंसू धनद बन जाते हिन् .... मुखर हो जाते अहिं पीर बयान कर देते हैं ...

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

भावमयी अंतर्स्पर्शी रचना....
सादर बधाई.....

Mamta Bajpai said...

वेदना का सजीव चित्रण ..वाह बहुत बढिया
बधाई

Rajesh Kumari said...

bahut marmik dil ki gahraaiyon me utarti rachna.bahut badhiya.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

मन को छू लेने वाली सुंदर रचना,......

मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....

सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
चुल्लू भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,


पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

सागर said...

behtreen prstuti..........

Prakash Jain said...

Wah!!! Adbhut...Sundar shabd prayog...

amrendra "amar" said...

सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.

आभार.

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

behad umda..dil ko choo lene wali..pahli mulakar yadgar mulakat hai..mere blog par bhi apka swagat hai..apne mere blog join kiya .hriday se dhanyawad..sadar

Rajput said...

भावमयी सुन्दर रचना ,बहुत बढ़िया

Naveen Mani Tripathi said...

vah bhai Nirala ji bahut sundar marmsaprshi rachana .. vaki kabile tareef ... apka blog to bhai ak yadgar bn jayega .. bahut bahut abhar .

रजनीश तिवारी said...

भावमई सुंदर रचना ..

उपेन्द्र नाथ said...

haut hi sunder evam bhavpurn prastuti...........

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

जब-जब हस्त-रेखाएं,जंजीर बनी हैं
तब-तब साथी पूजा भी इक पीर बनी है
बहुत भावपूर्ण रचना.....

sangita said...

behad samvedansheen rchana hae

प्रेम सरोवर said...

आपका पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

महेन्‍द्र वर्मा said...

बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

bahut hee sundar kavita ...laajwaab ..badi dard bhari

डॉ. जेन्नी शबनम said...

maarmik rachna, kisi ko zindagi mein lakar use door kar dena kai baar apni takdeer ko kho dena hota hai. adhikaansh aurat ki yahi kahani...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

भावपूर्ण सुंदर पोस्ट.....

नये पोस्ट की चंद लाइनें पेश है.....

पूजा में मंत्र का, साधुओं में संत का,
आज के जनतंत्र का, कहानी में अन्त का,
शिक्षा में संस्थान का, कलयुग में विज्ञानं का
बनावटी शान का, मेड इन जापान का,

पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

Urmi said...

उम्दा रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

भावपूर्ण रचना

Dr.NISHA MAHARANA said...

very nice.

Urmi said...

क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/

प्रेम सरोवर said...

आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट उपेंद्र नाथ अश्क पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

Naveen Mani Tripathi said...

behad sundar Nirala ji .... abhar..Mere naye post pr aamantran sweekar kren.

अभिव्यंजना said...

उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ........

लिखिए अपनी भाषा में...

जीवन पुष्प

हमारे नये अतिथि !

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