ह्रदय को लिए ह्रदय में माँ
तुम हो कितने संशय में माँ
देने को इन्हें जीवन सरल
हो रही तू कितनी विकल
पता नहीं ये तुमको कल
मासूमियत पे करेंगे छल...!
शायद तुम्हारी मौत पर माँ
नसीब भी ना हो कफ़न
तुम इनकी अरमां के खातिर
अपनी खुशियाँ करती हो दफ़न
तेरे आँचल के साये में ही
सब रिश्तों का है संजन
क्यों नहीं समझते हैं हमसब
अटूट प्रेम का ये बंधन ... ?
23 comments:
बहुत खूबसूरत मनीष जी...
हृदयस्पर्शी...
अनु
मस्त है भाई जी ||
लगे मर्म पर चोट जब, याद करें वो रात |
जब ईश्वर से थी कही, पुत्र रत्न की बात |
पुत्र रत्न की बात, घात जीवन पर होवे |
मारी कन्या भ्रूण, आज क्यूँ उस पर रोवे |
पुत्रमोह का पाप, आज भुगते तू भारी |
वह कन्या तो आज, आप की है आभारी ||
बहुत सुन्दर लिखा है... सच माँ जैसा प्यार कही नहीं मिलता ... और बच्चों कों भी माँ पिता कों सम्मान और प्यार देना चाहिए ...विशेषतौर पर उनके बुदापे पर ..
हृदयस्पर्शी रचना..
माँ का प्यार बहुत अनमोल है..
हमें भी उनके बुढ़ापे में उनका सहारा बनना चाहिए...
:-)
बहुत सुंदर भाव
वाह!
आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को आज दिनांक 17-09-2012 को ट्रैफिक सिग्नल सी ज़िन्दगी : सोमवारीय चर्चामंच-1005 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
अद्भुत है मनीष जी
सुन्दर रचना, सार्थक भाव, बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें , आभारी होऊंगा.
माँ जानती है यह हकीकत मगर ममता से लाचार !
गहन अभिव्यक्ति !
माँ तो माँ होती है। सिर्फ प्रेम करना जानती है।
माँ का दुलार ऐसे किसी भी तर्क को नहीं मानता ... उसके लिए उसकी सन्तान बेटा या बेटी न हो कर सिर्फ बच्चे होते हैं ,पर हाँ बच्चे उसको जरुर भूल जातें हैं ....
एक माँ को समर्पित कितने उन्नत भाव काश हर एक के ह्रदय में हों माँ तो फिर भी निःस्वार्थ पालती है अपने बच्चों को
maa to apne santaan ko samajhati hi hai badi baat hai ki santaan bhi use samajhane ka prayash kare ........is poetry me shayad vahi baat hai
गाफिल जी ! बहुत- बहुत आभार आपका !
bhoutikta men ulajh gaye hain log ...
वाह बेहतरीन भाव संयोजित किये हैं आपने इस अभिव्यक्ति में ।
मार्मिक अभिव्यक्ति है .. आज के भौतिक युग में स्वार्थी हो रहा है इनसान .. माँ के त्याग को समझ नहीं पाता ...
बेहतरीन प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं।
मन की पीर मन में छिपाना तो माँ की ममता ही है सार्थक पोस्ट बधाई
माँ के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम...
उम्दा भाव से सजी एक बेहतरीन रचना |
सादर |
माँ को समर्पित बढ़िया रचना के लिए बधाई
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
@ sanjay bhaskar
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