Followers

08 June, 2016

प्रेम का दीप



अब अपना मिलन है चंद घड़ियों का
मुद्दत से जुड़े थे जिस बंधन में,
टूटेगा मोती अब उन लड़ियों का !

गले कभी अब हम मिल न सकेंगे
रख के सर तेरे कंधों पर,
कभी सिसक कर रो न सकेंगे !

 
जुदा होकर  भी गम नहीं  करना
अपनी आँखें  नम नहीं करना  

मिलकर राधा –कृष्णा को देखो
कभी एक नहीं हो पाए थे  !
फिर भी दुनिया में अपना वो
प्रेम का दीप जलाये थे ...!

1 comment:

जयंत - समर शेष said...

बहुत सुंदर.... बिलकुल मन को छू गयी वो बात....
प्रेमी ही जाने इस गहरायी को।

लिखिए अपनी भाषा में...

जीवन पुष्प

हमारे नये अतिथि !

Angry Birds - Prescision Select