अब अपना मिलन है चंद घड़ियों
का
मुद्दत से जुड़े थे जिस
बंधन में,
टूटेगा मोती अब उन लड़ियों
का !
गले कभी अब हम मिल
न सकेंगे
रख के सर तेरे कंधों
पर,
कभी सिसक कर रो न
सकेंगे !
जुदा होकर भी गम नहीं
करना
अपनी आँखें नम नहीं करना
मिलकर राधा –कृष्णा को देखो
कभी एक नहीं हो पाए
थे !
फिर भी दुनिया में
अपना वो
प्रेम का दीप जलाये थे ...!
1 comment:
बहुत सुंदर.... बिलकुल मन को छू गयी वो बात....
प्रेमी ही जाने इस गहरायी को।
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