है जिन्दा आज भी जज्बा
अभी मैं झुक नहीं सकता !
आरजू
मुकम्मल हो या न हो
सफ़र ये
रुक नहीं सकता !!
जब तुम
याद आती हो
एक कसक सी जगती है...
निगाहें
फलक पे टिकती है
नजरे
नम हो उठती है...
वही
तराना गाता हूँ...
शबनम
फिर से टपकती है ...!!
2 comments:
सफ़र हो तो जीवन है ...
जी सही कह रहे है !
धन्यवाद !!!
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