वो शाम सिंदूरी में
नदी तट पे टहलने का
भूल जाते थे हमतुम
जो सूरज ढलने का...।
बंद जो करती थी
बंद जो करती थी
आंखे मेरी तू झट से...
मैं पहले ही जान लेता था,
तेरे कदमों की आहट से...
फिर भी अनजान होकर,
फिर भी अनजान होकर,
तेरे हाथो को टटोलता था
अपनी दबी आरजू को
हौले से उड़ेलता था।
आज भी तेरी खातिर
मेरा मन तड़पता है
हर तरफ मुझे अब,
सन्नाटा दिखता है
हर ख्वाब भी रातों को
उपहास ही करता है...।
गम है तुम्हे पाकर
उपहास ही करता है...।
गम है तुम्हे पाकर
फिर से खोने का...
कितना असर है जीवन में,
तेरे ना होने का...
फर्क तो होगा ही
अंधेरा होने का...
फिर इंतजार है आखों को
एक सवेरा होने का...।
जब- जब हवा में
पर्दा हिलता है,
तेरे आने की आहट से
दीया उम्मीद का जलता है
फिर बुझ जाता है पल भर में,
सिर्फ एक साया दिखता है...।
अब व्याधूत मन मेरा
अब व्याधूत मन मेरा
बुला रहा है थककर
कब रहगुजर होगी
तुम अपने प्रेम पथ पर...?
मैं प्रतीक्षारत हूं आज भी
खिड़की से लगकर...।
53 comments:
बहुत बढि़या ।
बहुत खूब!
सादर
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेर नए पोस्ट "अपनी पीढ़ी को शब्द देना मामूली बात नही है " पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
सुन्दर रचना. स्वागत.
बहुत खूबसूरती से मन के एहसास लिखे हैं ... सुन्दर रचना
वाह..! क्या खूब लिखा है आपने..! बहुत ही गहराई से मन में उतरकर अपने भाव उकेरे हैं.. बधाई..
आप हमारे ब्लॉग पर आये, मेरा हौंसला बढाया , बहुत-बहुत धन्यवाद.. आते रहिएगा, स्वागत है..
very expressive n touching post.
गहरे अहसास।
सुंदर प्रस्तुति।
आभार.....
संवेदना से भरपूर बेहद भावमयी रचना ! मन के कोमल अहसासों को खूबसूरती के साथ अभिव्यक्ति दी है ! बहुत सुन्दर !
सुन्दर रचना
मनोभाव की बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
neelu ji bahut hi achhchha likhate hai ap..bhut hi sundar abhivakti haii...bahut bahut badhaiho ap ko sundar rachana ke liye
achhi rachna , komal lamhe
सुन्दर कविता,बधाई
प्यार और जुदाई का मिला जुला समावेश ....बहुत खूब
फिर इंतजार है आँखों को एक सबेरा होने का...
दिल को छू रही है आपकी रचना... ख़ूबसूरत लम्हे
सुंदर लम्बी कविता
फर भी अनजान होकर, तेरे हाथो को टटोलता था अपनी दबी आरजू को हौले से उड़ेलता था।
bahut sundar bhaw hai.
Shayad unhen bhi iska ahsas raha ho.....!
कितना असर है जिंदगी में तेरा ना होना....
अत्यंत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति....कोमल बिम्बों का अत्यंत सहज प्रयोग....शुभ कामनायें !! मेरे ब्लाग पर स्नेह प्रेषित करने हेतु अभिनन्दन !!!
मन के संवेदनशील भाव ....
bhaut hi khubsurat rachna...
बहुत सुन्दर लगा आपका ब्लॉग
..लेखन के साथ साथ देखने में भी
दीया उम्मीद की जलता है इस पंक्ति में........की नहीं का सही लगता है ..शुभकामनायें
निर्झर जी बहुत अच्छा लगा आपका आना ...
और ध्यान दिलाने के लिये धन्यबाद !
मनीष...कथनानुसार मैं आ गयी..आपके ब्लॉग पर...अच्छालगा...इस कविता में आपने बड़ी खूबसूरती से मनोभावों को शब्दों में पिरोया है ...बधाई !१
VIYOG VYTHA KI HRIDAYSPARSHI PRASTUTI.
Bahut achhi rachna
behatreen
वाह!
bahut hi khubsurat abhivyakti ,,badhai
बहुत सुन्दर लिखा है आपने आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !!
manish ji
bahut bahut bahut hi behatreen lagi aapki yah anmol kriti.aapkeblog par pahli baar aai hunpar lagta hai ki ab baar -baar aana hoga.aapki is rachna ne man ko jo moh liya hai----;)
hardik badhai--are han ! mere blog par aakar aapne apna samarthan diya.sach!bahut hi achcha laga.
punah badhai swikaren
dhanyvaad sahit
poonam
waah... bahut sundar rachna...
kasak kuch aisi hi to hoti hai...
हृदय स्पर्शी रचना .....
आप मेरे ब्लॉग पर आये आपका आभार..
बहुत सुंदर ! भावों की उत्तम अभिव्यक्ति | अभिव्यंजना में आपका स्वागत है |
♥
प्रिय बंधुवर मनीष कुमार नीलू जी
सस्नेहाभिवादन !
मैं प्रतीक्षारत हूं आज भी …
सुंदर कविता के लिए बधाई
मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आपकी इस रचना को काव्य मंच पेज पर लिंक किया जा रहा है |
टिप्स हिंदी में
शादी.काम
ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/
आपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।
मनीष जी, इस भावपूर्ण रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकारें
नीरज
Please view my complete profile.Thanks.
अच्छी रचना ...आभार
प्रेम की गहरी अनुभूति से निकली रचना ... बहुत ही अच्छी रचना है ...
इंतजार और आस को सुन्दर शब्दों में पिरोया है आप ने ..ये भावाभिव्यक्ति बहुत सुन्दर लगी..
बहुत ही सुन्दर रचना.
मनीष जी...बहुत ही सुंदर रचना और साथ ही बहुत ही मनमोहक और खुबसूरत ब्लाग बनाया है आपने..प्यारे घर की तरह सजाया है.....अपने कविताओं का घर..जहाँ हर शब्द आराम से बेफिक्र होकर रह सके....यूँही निरंतर लिखते रहिये....ऊँचाईयों को प्राप्त किजीये...मेरी शूभकामनाएं सदा आपके साथ है.....बधाई।
बहुत लाजवाब प्रस्तुति...वधाई
बहुत बढ़िया ..बधाई
very nice
very heart touching poem..
उम्मीद का दीया यूँ ही जलता रहे.बहुत ही अच्छा लिखा है .साँस रोक कर पढ़ती रही.
bahut khoob, bahut umda ...
bahut sunder hain aapki yaden......
वाह! बहुत सुन्दर.
अनुपमा जी की संगीतमयी हलचल का 'ग' सुर बनी यह प्रस्तुति
बहुत अच्छी लगी.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है,मनीष जी.
वाह!! सुन्दर भाव... बढ़िया रचना.
सादर
.
Post a Comment