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31 October, 2011

कसक...

  कुछ लम्हें कचोटता है
  वो खुलकर मिलने का
  कांधे पे रख के हाथ
  तेरे साथ चलने का...।


  वो शाम सिंदूरी में 
  नदी तट पे टहलने का
  भूल जाते थे हमतुम
  जो सूरज ढलने का...।

बंद जो करती थी
  आंखे मेरी तू  झट से...
  मैं पहले ही जान लेता था,
  तेरे कदमों की आहट से...

फिर भी अनजान  होकर, 
  तेरे हाथो को टटोलता था
  अपनी दबी आरजू को
  हौले से उड़ेलता था

  आज भी तेरी खातिर
  मेरा मन तड़पता है
  हर तरफ मुझे अब, 
  सन्नाटा  दिखता है
  हर ख्वाब भी रातों को  
     उपहास  ही करता है...

गम है तुम्हे पाकर
  फिर से खोने का...
  कितना असर है जीवन  में, 
  तेरे ना होने का...
  फर्क तो होगा ही
  अंधेरा होने का... 
  फिर इंतजार  है आखों को
  एक सवेरा होने का... 


  जब- जब हवा में 
  पर्दा हिलता है,
  तेरे आने की आहट से
  दीया उम्मीद का जलता है
  फिर बुझ जाता  है पल भर में, 
  सिर्फ एक साया दिखता है...

अब व्याधूत मन मेरा
  बुला रहा है थककर
  कब  रहगुजर होगी   
  तुम अपने प्रेम पथ पर...? 
  मैं प्रतीक्षारत  हूं  आज भी
  खिड़की से  लगकर...  

53 comments:

सदा said...

बहुत बढि़या ।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब!

सादर

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!

प्रेम सरोवर said...

आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेर नए पोस्ट "अपनी पीढ़ी को शब्द देना मामूली बात नही है " पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

अभिषेक मिश्र said...

सुन्दर रचना. स्वागत.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरती से मन के एहसास लिखे हैं ... सुन्दर रचना

Unknown said...

वाह..! क्या खूब लिखा है आपने..! बहुत ही गहराई से मन में उतरकर अपने भाव उकेरे हैं.. बधाई..

आप हमारे ब्लॉग पर आये, मेरा हौंसला बढाया , बहुत-बहुत धन्यवाद.. आते रहिएगा, स्वागत है..

Dr.NISHA MAHARANA said...

very expressive n touching post.

Atul Shrivastava said...

गहरे अहसास।
सुंदर प्रस्‍तुति।
आभार.....

Sadhana Vaid said...

संवेदना से भरपूर बेहद भावमयी रचना ! मन के कोमल अहसासों को खूबसूरती के साथ अभिव्यक्ति दी है ! बहुत सुन्दर !

Vandana Ramasingh said...

सुन्दर रचना

ऋता शेखर 'मधु' said...

मनोभाव की बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

pradeep tiwari said...

neelu ji bahut hi achhchha likhate hai ap..bhut hi sundar abhivakti haii...bahut bahut badhaiho ap ko sundar rachana ke liye

रश्मि प्रभा... said...

achhi rachna , komal lamhe

Unknown said...

सुन्दर कविता,बधाई

Anju (Anu) Chaudhary said...

प्यार और जुदाई का मिला जुला समावेश ....बहुत खूब

संध्या शर्मा said...

फिर इंतजार है आँखों को एक सबेरा होने का...
दिल को छू रही है आपकी रचना... ख़ूबसूरत लम्हे

दिलबागसिंह विर्क said...

सुंदर लम्बी कविता

अशोक कुमार शुक्ला said...

फर भी अनजान होकर, तेरे हाथो को टटोलता था अपनी दबी आरजू को हौले से उड़ेलता था।
bahut sundar bhaw hai.
Shayad unhen bhi iska ahsas raha ho.....!

Unknown said...

कितना असर है जिंदगी में तेरा ना होना....
अत्यंत भाव पूर्ण अभिव्यक्ति....कोमल बिम्बों का अत्यंत सहज प्रयोग....शुभ कामनायें !! मेरे ब्लाग पर स्नेह प्रेषित करने हेतु अभिनन्दन !!!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

मन के संवेदनशील भाव ....

सागर said...

bhaut hi khubsurat rachna...

निर्झर'नीर said...

बहुत सुन्दर लगा आपका ब्लॉग
..लेखन के साथ साथ देखने में भी
दीया उम्मीद की जलता है इस पंक्ति में........की नहीं का सही लगता है ..शुभकामनायें

Jeevan Pushp said...

निर्झर जी बहुत अच्छा लगा आपका आना ...
और ध्यान दिलाने के लिये धन्यबाद !

Nidhi said...

मनीष...कथनानुसार मैं आ गयी..आपके ब्लॉग पर...अच्छालगा...इस कविता में आपने बड़ी खूबसूरती से मनोभावों को शब्दों में पिरोया है ...बधाई !१

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

VIYOG VYTHA KI HRIDAYSPARSHI PRASTUTI.

Ram Swaroop Verma said...

Bahut achhi rachna
behatreen

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

वाह!

amrendra "amar" said...

bahut hi khubsurat abhivyakti ,,badhai

मदन शर्मा said...

बहुत सुन्दर लिखा है आपने आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं !!

पूनम श्रीवास्तव said...

manish ji
bahut bahut bahut hi behatreen lagi aapki yah anmol kriti.aapkeblog par pahli baar aai hunpar lagta hai ki ab baar -baar aana hoga.aapki is rachna ne man ko jo moh liya hai----;)
hardik badhai--are han ! mere blog par aakar aapne apna samarthan diya.sach!bahut hi achcha laga.
punah badhai swikaren
dhanyvaad sahit
poonam

POOJA... said...

waah... bahut sundar rachna...
kasak kuch aisi hi to hoti hai...

आशा बिष्ट said...

हृदय स्पर्शी रचना .....
आप मेरे ब्लॉग पर आये आपका आभार..

अभिव्यंजना said...

बहुत सुंदर ! भावों की उत्तम अभिव्यक्ति | अभिव्यंजना में आपका स्वागत है |

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...






प्रिय बंधुवर मनीष कुमार नीलू जी
सस्नेहाभिवादन !

मैं प्रतीक्षारत हूं आज भी …

सुंदर कविता के लिए बधाई
मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

tips hindi me said...

आपकी इस रचना को काव्य मंच पेज पर लिंक किया जा रहा है |

टिप्स हिंदी में
शादी.काम

Urmi said...

ख़ूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/

प्रेम सरोवर said...

आपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।

नीरज गोस्वामी said...

मनीष जी, इस भावपूर्ण रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकारें

नीरज

प्रेम सरोवर said...

Please view my complete profile.Thanks.

रजनीश तिवारी said...

अच्छी रचना ...आभार

दिगम्बर नासवा said...

प्रेम की गहरी अनुभूति से निकली रचना ... बहुत ही अच्छी रचना है ...

आशुतोष की कलम said...

इंतजार और आस को सुन्दर शब्दों में पिरोया है आप ने ..ये भावाभिव्यक्ति बहुत सुन्दर लगी..

अभिषेक मिश्र said...

बहुत ही सुन्दर रचना.

Er. सत्यम शिवम said...

मनीष जी...बहुत ही सुंदर रचना और साथ ही बहुत ही मनमोहक और खुबसूरत ब्लाग बनाया है आपने..प्यारे घर की तरह सजाया है.....अपने कविताओं का घर..जहाँ हर शब्द आराम से बेफिक्र होकर रह सके....यूँही निरंतर लिखते रहिये....ऊँचाईयों को प्राप्त किजीये...मेरी शूभकामनाएं सदा आपके साथ है.....बधाई।

Ankur Jain said...

बहुत लाजवाब प्रस्तुति...वधाई

Mamta Bajpai said...

बहुत बढ़िया ..बधाई

मेरा मन पंछी सा said...

very nice
very heart touching poem..

Amrita Tanmay said...

उम्मीद का दीया यूँ ही जलता रहे.बहुत ही अच्छा लिखा है .साँस रोक कर पढ़ती रही.

Dr. SHASHI.... ( Ek Kasak ) said...

bahut khoob, bahut umda ...

mridula pradhan said...

bahut sunder hain aapki yaden......

Rakesh Kumar said...

वाह! बहुत सुन्दर.
अनुपमा जी की संगीतमयी हलचल का 'ग' सुर बनी यह प्रस्तुति
बहुत अच्छी लगी.

मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है,मनीष जी.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

वाह!! सुन्दर भाव... बढ़िया रचना.
सादर
.

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